बागेश्वर धाम सरकार के नाम से मशहूर हुए मात्र 26 वर्ष के युवा व्यक्ति धीरेंद्र शास्त्री इन दिनों सुर्खियों में चल रहे हैं। इसमें कोई नई बात तो नहीं है क्योंकि वह अक्सर अपने विवादित बयानों के जरिए विवादों में रहते हैं।
धीरेंद्र शास्त्री
धीरेंद्र शास्त्री का पालन पोषण एक हिंदू परिवार में हुआ। उनके पिता पुजारी थे और उनका मन भी बचपन से पूजा लगता था। उनके अनुसार हनुमान जी से ही उन्हें समाज सेवा और बागेश्वर धाम के कल्याण के लिए निर्देश प्राप्त हुए।
धीरेंद्र शास्त्री के अनुसार ना ही तो वह कोई चमत्कारी पुरुष हैं, नहीं किसी देवता के अवतार हैं और ना ही कोई तांत्रिक है। उनको हनुमान जी और सन्यासी बाबा की कृपा से जो अनुभव होते हैं उन्हीं से वे कल्याण करते हैं।
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धीरेंद्र शास्त्री सामान्य जन की शारीरिक और मानसिक पिड़ाओं का निवारण करने और उनके मन की बात पढ़ लेने का दावा भी करते हैं और लाखों व्यक्ति प्रतिदिन बागेश्वर धाम पहुंचते हैं।
इसके अलावा धीरेंद्र शास्त्री भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाने का दावा करते हैं और इसके लिए प्रयासरत भी हैं। उनके विरोधी उन्हें ढोंगी बाबा भी कहते हैं और उनके ऊपर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाते हैं।
ऐसे में उनका एक और विवादित बयान निकलकर सामने आया है कि-
“यदि किसी हिंदू के घर में दो बच्चे हैं तो उन्हें एक बच्चे को रामनवमी के जुलूस में भेजना चाहिए और यदि 4 बच्चे हैं तो दो बच्चों को रामनवमी के जुलूस में भेजना चाहिए।”
रामलीला मैदान में एक कार्यालय के उद्घाटन के लिए संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं कोई फरमाइशी गीत नहीं हूं। मैं अपने विरोधियों को कई बार उनके सामने जवाब दे चुका हूं।
उन्होंने कहा कि अब मैं यही नहीं करता रहूंगा। यह सस्ती लोकप्रियता पाने का एक नया तरीका बन गया है। आपको बता दें कि पंडित प्रकाश टाटा ने पंडित धीरेंद्र शास्त्री को 1 करोड़ रुपए की चुनौती दी थी, जिसके ऊपर यह बयान जारी किया गया है।
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