हमारे चारों ओर विस्तृत विशाल अंतरिक्ष ब्रह्मांड कहलाता है तथा इसके अंतर्गत सभी पिंडों जैसे सुदूर तारों, ग्रहों, उपग्रहों के साथ ही पृथ्वी और इस पर मौजूद सभी पदार्थों को सम्मिलित किया जाता है।
ब्रह्मांड में दूरी मापने की क्या है इकाई-
विभिन्न आकाशीय पिंडों, तारों और ग्रहों के बीच अत्यंत विशाल दूरियों को खगोलीय इकाई, प्रकाश वर्ष और पारसेक में व्यक्त किया जा सकता है।
खगोलीय इकाई (1.5 * 10 की पावर 8) किलोमीटर के बराबर होती है।
पृथ्वी 8 ग्रहों में से एक है यह सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। यह तारे समूहों में होते हैं जिन्हें आकाशगंगा कहा जाता है।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति संबंधी सर्वमान्य सिद्धांत big-bang-theory है। इसे विस्तारित ब्रह्मांड परिकल्पना भी कहा जा सकता है। 1920 ईस्वी में एडमिन हब्बल ने प्रमाण दिया कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है, समय बीतने के साथ आकाशगंगाए एक-दूसरे से दूर हो रही हैं।
सूत्रों के अनुसार बिकबैंक की घटना आज से 13.7 अरब वर्ष पूर्व घटित हुई थी।
मिल्की-वे क्या है?
यह तारों का एक ऐसा समूह है जो अपने ही गुरुत्वाकर्षण बल के कारण एक-दूसरे से परस्पर बंधे हुए होते हैं।
ब्रह्मांड के मिल्की-वे की विशेषताएं-
यह सर्पिलाकार है।
इसका व्यास लगभग 100000 प्रकाश वर्ष है और इसका आकार तश्तरी नुमा है।
यह अपने केंद्र पर वामावर्त दिशा में घूर्णन कर रही है।
इसके केंद्र से सूर्य की दूरी काफी अधिक लगभग 27000 प्रकाश वर्ष है।
तारे क्या होते हैं?
तारे ऐसे खगोलीय पिंड हैं जो निरंतर प्रकाश एवं ऊष्मा उत्सर्जित करते हैं। यह हाइड्रोजन गैस, हिलियम गैस और धूल के विशालकाय बादलों से बने होते हैं।
तारों में उनके कुल भार का 70% हाइड्रोजन, 28% हिलियम, और 1.5% कार्बन, नाइट्रोजन, नियॉन तथा 0.5% लौह एवं अन्य भारी तत्वों से निर्मित होता है।
हाइड्रोजन परमाणु लगातार हीलियम परमाणु में परिवर्तित होता रहता है और इस प्रक्रिया के दौरान बड़ी मात्रा में ऊर्जा ताप और प्रकाश के रूप में उत्सर्जित होती है यही ताप और प्रकाश तारों में चमक पैदा करता है।
तारे कितने रंग के होते हैं-
तारे तीन रंग के होते हैं:
लाल सफेद और नीले।
लाल-इनका पृष्ठ ताप अपेक्षाकृत निम्न होता है।
सफेद-उच्च पृष्ठ ताप वाले तारे होते हैं।
नीले-इनका पृष्ठ ताप अत्यधिक उच्च होता है।
ध्रुव तारा पोलारिस इसका प्रमुख उदाहरण है।
प्रॉक्सिमा सैंटोरी सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा है। पृथ्वी से इसकी दूरी 4.22 प्रकाश वर्ष है। अल्फा सैंटोरी पृथ्वी से 4.3 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है।
पृथ्वी स्वयं ही अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर * करती है।
तारों की उत्पत्ति कैसे हुई?
आकाशगंगा में उपस्थित हाइड्रोजन और हीलियम घने बादलों के रूप में एकत्रित होने के साथ इनके जीवन का चक्र आरंभ होता है।
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तापमान पर हाइड्रोजन की नाभिकीय संलयन अभिक्रिया आरंभ होती हैं। इस प्रकरण में चार छोटे हाइड्रोजन के नाभिक मिलकर होकर एक बड़ा हिलियम नाभिक बनाते हैं तथा ताप और प्रकाश के रूप में अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
हाइड्रोजन के संलयन से हिलियम बनने के दौरान उत्पन्न ऊर्जा प्रोटोस्टार को चमक प्रदान करती है और वह तारा बन जाता है। यह तारा लंबे समय तक निरंतर चमकता रहता है।
तारे के जीवन का अंतिम चरण-
श्वेत वामन तारा बनकर समाप्त हो सकता है, या सुपरनोवा तारे के रूप में इसका विस्फोट हो सकता है, जो अंततः न्यूट्रॉन तारा और ब्लैक होल बनकर समाप्त हो जाता है.
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